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नई दिल्ली के शाही महल

नई दिल्ली के शाही महल बुक्स

नई दिल्ली के शाही महल

By Sumanta Bhowmick

Category: Bahuvachan Books

ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के दौरान  पूरे देश से राजा और महाराजा 1911 के दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली में इकट्ठे हुए थे, और तब एक नई राजधानी का जन्म हुआ था, जिसका नाम था – नई दिल्ली। जल्दी ही रजवाड़ों ने इस नई औपनिवेशिक राजधानी में शानदार महल बनवा डाले, जैसे कि हैदराबाद हाउस, बड़ौदा हाउस, जयपुर हाउस, बीकानेर हाउस और पटियाला हाउस आदि।

अंग्रेजी सरकार ने रजवाड़ों को राजधानी की इतनी महंगी और मुख्य जमीन क्यूं और कैसे आबंटित की? यहां निर्माण की शुरूआत कैसे हुई और किसने इनमें वास्तुशिल्पीय डिजाइन बनाए? इनमें कौन रहा, और यहां कौन-कौन से समारोह आयोजित हुए ? आजादी के बाद भारतीय गणतंत्र में इन रियायतों के विलय के बाद दिल्ली की इन शानदार इमारतों का क्या हुआ?

ये किताब इन सवालों के जवाब तलाशने हर कहानी की गहराई में जाती है, यह दुर्लभ शोध, राजसी परिवारों से लिए गए साक्षात्कारों, और रजवाड़ों के निजी संग्रहों में मौजूद, आज से पहले कभी न छपने वाली तस्वीरों के जरिये इतिहास का विवरण देती है। 

नई दिल्ली के ये शाही महल शहरी विन्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन्हें एक सदी पहले जिन मकसद से बनाया गया था, शायद उनके आज कोई मायने नहीं रह गए हैं। लेकिन ये महल अतीत की निशानियां हैं, और एक ऐसे समय की याद दिलाते हैं जो कभी बिखरे हुए सामाजिक तानेबाने को एकजुट करने की प्रक्रिया का एक हिस्सा था। 

रंग-बिरंगे शानदार जुलूस, खास तरह की पोशाक पहने, महलों की रक्षा करते गार्ड, रंग-बिरंगे, लहलहाते ध्वज, मेहमानों का मन-बहलाते सैक्सोफोन और वाइन के ग्लासों के टकराने की खास आवाजें आपको अतीत में ले जाएंगी, हालांकि आधुनिक नई दिल्ली का स्वरूप अब काफी बदल चुका है।

नई दिल्ली के शाही महल
Sumanta Bhowmick

Sumanta K Bhowmick spent his early life in Bhagalpur before moving to Delhi to work in the Parliament in 1996. He studied science and literature, completing his doctoral thesis on the poetry of Rabindranath Tagore and Emily Dickinson. Sumanta has published books of translation and contributed research articles, short stories, and essays to various journals. Commuting to his office through Central Vista triggered his imagination, transporting him to the days when kings rode the roads of New Delhi, the Imperial capital, and led him to the story of the princely palaces in Princes’ Park. His passion for the history of Delhi deepened with friends in the group Knowing and Loving Delhi Better (KLoDB), walking together every Sunday. Sumanta has contributed to plaques at Mandi House metro station and Cochin House. He delivered a lecture at the University of Oxford on the princely palaces in New Delhi. The spirit of Delhi, past and present, endlessly fascinates him.

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