फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ 1969 से 1973 तक भारतीय सेना के अध्यक्ष रहे। यह किताब सैम के जीवन, व्यवहार की विशेषताओं, विनोदप्रियता, नैतिक एवं पेशेवर साहस और वह रहस्य चित्रित करती है, जिसने उनके व्यक्तित्व को इस प्रकार गढ़ा। सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी विनम्रता, उनकी ईमानदारी और पद की परवाह किए बिना सेना के हर व्यक्ति के लिए सम्मान के भाव को प्रदर्शित करती है।
घटनाओं से भरी यह किताब पढ़ने में आसान है, क्योंकि यह उनके बचपन से लेकर कीर्ति के शिखर तक पाठक को साथ लेकर चलती है। एक व्यक्तिगत जीवन गाथा के साथ राजनैतिक ताने-बाने को ऐसे बुना गया है, जो इस बात पर ज़ोर देता है कि कैसे एक बेहतरीन सैन्य रणनीतिकार ने भारतीय उपमहाद्वीप का नक़्शा ही बदल दिया। पारिवारिक चित्र, हस्तलिखित टिप्पणियाँ और व्यक्तिगत पत्र व्यवहार ने इस किताब को अतिपठनीय और संग्रहणीय निधि बना दिया है। यह किताब सैम के जीवन की विशिष्ट उपलब्धियों का वर्णन करती है।
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