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यह किताब (बाघ के साथ मेरी मुठभेड़: रणथम्भौर की कहानी, लेखक की ज़ुबानी) रणथम्भौर बाघ परियोजना, साल 2010 में, एक आक्रामक बाघ के साथ मुठभेड़ का वर्णन करती है। जब बाघ को बेहोश करते समय, बाघ ने लेखक पर जानलेवा हमला कर दिया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एक आक्रामक बाघ के साथ मुठभेड़, बिलकुल मृत्यु के द्वार से लौटने जैसा अनुभव है। इसके अतिरिक्त, किताब में अनाथ शावकों का पालन-पोषण; रहस्यमय तेंदुआ, जो अपने मनमाफ़िक निडर भाव से इनसानों पर हमला कर देता था; बाघों पर निगरानी रखना एवं आक्रामक नर बाघ उस्ताद (टी-24) के साथ कई अन्य सत्य कहानियाँ भी शामिल हैं।
लेखक ने रणथम्भौर के विस्मृत नायकों को श्रद्धांजलि भी दी है, जिन्होंने वन एवं वन्यजीवों की रक्षा करते हुए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। अनेक दुर्लभ चित्र पुस्तक की रोचकता में चार चाँद लगा देते हैं। यह पुस्तक सभी के लिए अवश्य पठनीय है और उनके लिए भी, जो लोग हमारे राष्ट्रीय पशु ‘बाघ’ में रुचि रखते हैं।
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