कुम्भ मेला दुनिया में आयोजित किया जाने वाला सबसे बड़ा धार्मिक समारोह है, और इस दौरान दुनिया का सबसे विशाल जनसमूह यहाँ इकट्ठा होता है। इसके परिणामस्वरूप यहाँ एक आभासी मेगासिटी भी उभर कर सामने आता है। कुम्भ मेले की अपनी सड़कें, पांटून पुल और टेंट होते हैं जो आवास एवं आध्यात्मिक बैठकों के लिए स्थल की भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ अस्पतालों, शौचालयों और टीकाकरण तिकित्सा केंद्रों के तौर पर सामाजिक संरचनाएँ भी बनाई जाती हैं, जो बिल्कुल किसी वास्तविक शहर की तरह काम करती हैं। यह कुंभ नगरी लगभग 70 लाख लोगों के काम आती है, जो यहाँ 55 दिनों तक इकट्ठे रहते हैं। इसके अलावा यहाँ एक करोड़ से 2 करोड़ की संख्या में ऐसे लोग भी यहाँ आते हैं जो स्नान वाली 6 प्रमुख तिथियों को 24 घंटे तक का प्रवास करते हैं। 2013 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की, कई विषयों से ताल्लुक रखने वाली टीम ने इस महाआयोजन की तैयारियों और इसमें होने वाले समारोह पर शोध किया। एक शहर के तौर पर इस मेले का यह पहला सिलसिलेवार अध्ययन था और इसमें सामाजिक मुद्दों, विविधताओं और उस लोकतांिक व्यवस्था जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया, जो इस शहर के निर्माण के दौरान सामने आते हैं। इस नगर में किसी एकल व्यक्ति के लिए भी स्थान होता है और व्यक्तियों के समूहों के लिए भी। इस संस्करण में इसी व्यापक शोध के परिणामों को प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें शहर के नक्शे, इसकी हवाई तस्वीरें, इसके विस्तृत रेखाचित्र और शानदार तस्वीरें भी हैं, जो कुंभ मेले के दौरान बनने वाले इस अल्पकालिक महानगर की भव्यता को दर्शाती हैं।