मोहम्मद रफ़ी: स्वयं ईश्वर की आवाज़

Paper Type: All colour; 50 photographs | Size: 130 gsm art paper (matt)
ISBN-13: 978-93-89136-68-5

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मोहम्मद रफ़ी के संबंध में एक सूक्ति चरितार्थ होती है कि उनके नाम से पहले ‘ज़ीरो ही आ सकता है और बाद में ‘दो, क्योंकि वही एक ऐसी शख़्सियत हैं, जिनकी जगहपिछले चार दशकों से ‘नंबर वन ही है। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। ऐसे महान गायक की लंबी संगीत यात्रा का वर्णन करने के लिए मानो शब्द भी कम पड़ जाते हैं।

ऐसी अभूतपूर्व ख्याति थी, उस विरले गायक की। वास्तव में रफ़ी कई सितारों से बड़े थे, जिन्होंने उनकी सुनहरी, सुरीली आवाज़ के साथ होंठ हिलाए।एक विनम्र और रूढ़िवादी पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति के लिए उनका मेहनती अंदाज़ और आवाज़ का हुनर ही मानो सब कुछ था; और इसी के दम पर बंबई (अब मुंबई) की इस व्यावसायिक नगरी में अपनी ख़ास जगह बनाई। यही वजह है कि रफ़ी के गुज़र जाने के इतने वर्षों बाद भी उनकी लोकप्रियता कुछ कम नहीं हुई है।

हर दिन एक गायक के रूप में उनकी सफलता और बेहतर इनसान के रूप में उनकी कुलीनता के बारे में कुछ न कुछ छपता रहता है। व्याख्यान दिए जाते हैं।इस पुस्तक में गहन शोध के बाद उन क़रीब 7000 गीतों का वर्णन है, जो रफ़ी ने देशविदेश में प्रस्तुत किए।इनमें से लेखकों ने अधिकाँश को एकसाथ जोड़ने की कोशिश की है और बेहद रोचक ढंग से हर अध्याय में उसे सिलसिलेवार रखने का सफल प्रयास किया है।हर एक घटना असाधारण लोककथा के समान कहानी में अपना योगदान देती है और आगे बढ़ती है|

जीवनीकार काफ़ी विनम्र और खुशक़िस्मत महसूस करते हैं कि उन्हें एक ऐसे व्यक्तित्व पर काम करने का मौक़ा मिला, जो कि बेस्ट 50 इंडियंस में शामिल हैं।ख़ास यह भी है कि इस तरह का यह पहला प्रयास है, जो एक क़रिश्माई व्यक्तित्व के प्रत्यक्ष जीवनकाल को विस्तृत ढंग से पेश करती है।



Dhirendra Jain
Dhirendra Jain
Author

Writer, journalist and media consultant, Dhirendra Jain had his grounding in film journalism from Raipur in Chhattisgarh. His book Sunehre Pal won an award from the prestigious Maharashtra State Hindi Sahitya Akademi, Mumbai. His wide experience in film journalism and PR makes him privy to countless incidents and anecdotes.

Raju Korti
Raju Korti
Author

A fountainhead of creative writing, Raju Korti is a dedicated, resourceful and innovative media professional who has been in the industry for over 33 years. He began his long career with The Hindu, followed by a stint with The Indian Express, Free Press Journal and Daily News and Analysis (DNA) newspapers.

Prayag Shukla
Prayag Shukla
Translator

प्रयाग शुक्ल का जन्म 28 मई 1940 कोलकाता में हुअा। इन्होंने कोलकाता विवविद्यालय से स्नातक किया है। वे कल्पना, दिनमान और नवभारत टाइम्स के संपादक मंडल में रहे हैं। साथ ही ललित कला अकादमी की पत्रिका समकालीन कला के अतिथि संपादक और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पत्रिका रंग प्रसंग तथा संगीत नाटक अकादमी की पत्रिका संगना के संपादक भी रहे हैं। वे कुशल कवि, कथाकार, कला-समीक्षक, अनुवादक एवं संपादक रहे हैं। इनकी अब तक लगभग 50 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।